Swati Khatri

हमारी इन बातो में,
इन बढ़ती हुई मुलाक़ातों में।
अक्सर सोचती हूँ,
कि तुम, मेरे कौन हो?

क्या तुम मेरे तसव्वुर का ख्याल हो?
या किसी सवाल का जवाब हो?
क्या तुम एक अधपका सा रिश्ता हो?
या मेरा ही प्यारा सा एक हिस्सा हो?

मैं कहूँगी नहीं पर तुमने महसूस किया होगा,
मेरी झुकी नज़रो में,
मेरी उस हलकी सी मुस्कान में।
कि मुझे पसंद आने लगी हे तुम्हारी खुशबू,
तुम्हारी छोटी छोटी आदते,
और
और वो, जिस तरह तुम्हारी नज़र मुझपर आकर रूक जाती हे।

सच कहूँ तो,
तुम वो हो जो मेरे चेहरे पर मुस्कान लाता है,
तुम वो हो जिसे मैं खोना नहीं चाहती।
तुम वो हो जिसे मेरी आँखे ढूंढ़ती रहती है,
और तुम वो भी हो जिसकी ख्वाहिश मैं हर पल करती हूँ।

अच्छा सुनो, अरे सुनो ना!
तुम्हें कैसे पता मुझे सड़क क्रॉस करने से डर लगता हे?
जो तुमने उस दिन मेरा हाथ कस के थाम लिया था।
उस दिन तुमने कहा था प्यार छुपाना भी प्यार है,
तुम्हारी हँसी कहती है ये ही तुम्हारा अंदाज़ है।

हाँ हमारी इन बातो में,
इन बढ़ती हुई मुलाक़ातों में।
अक्सर सोचती हूँ,
कि तुम, मेरे कौन हो?

क्या तुम ज़िन्दगी की फ़िक्र हो?
या फिर मीठा सा कोई ज़िक्र हो?
तुम मेरी खुशियों का इज़ाफ़ा हो?
या फिर उससे भी कुछ ज़्यादा हो?

मैं कहूँगी नहीं पर तुमने महसूस किया होगा,
मेरी उस बदली हुई सी आवाज़ में,
और कभी कभी वाली उस तकरार में।
मुझे पसंद है तुम्हारी वो आँखे,
तुम्हारी बाते,
और
और वो जिस तरह तुम अपनी मुस्कान से एहसास बयां कर देते हो।

तुम वो हो जिसके होने पर याकीन नहीं होता,
तुम वो हो जिसके होने से खुद पर नाज़ हो जाता हे।
तुम वो हो जिसे देखते हुए मेरा मन नहीं भरती,
वो जिसके इंतज़ार में वक़्त नहीं कटता।

अच्छा सुनो, सुनो ना!
तुम्हें किसने बताया की मुझे रातो को नींद नहीं आती?
जो उस रात तुमने घंटो शायरी सुनाई।
तुमने कहा था न, तुम्हें मैं पीले लिबास में अच्छि लगती हूँ?
तब से पीला मनो मेरा पसंदिता रंग हो गया हो।

हाँ हमारी इन बातो में,
इन बढ़ती हुई मुलाक़ातों में।
अक्सर सोचती हूँ,
कि तुम, मेरे कौन हो?

पर जब कोई जवाब न मिला तो सोचा,
कि क्या ज़रूरी है कि मुझे ये पता हो कि तुम मेरे कौन हो।
या ज़रूरी सिर्फ इतना हे की तुम मेरे हो,
हा ज़रूरी तो सिर्फ इतना हे की तुम मेरे हो।

अब चाहे तुम ताबीर हो।
तक़दीर हो,
या फिर मेरे हाथो की लकीर हो।

चाहे एतबार हो।
इज़हार हो,
या ख़तम हुआ कोई इंतज़ार हो।

चाहे तुम सफर हो।
सब्र हो,
या मेरी ज़िन्दगी का सबब हो।

चाहे जन्नत हो।
मिन्नत हो,
या पूरी हुई एक मन्नत हो।

अब सवाल नहीं पूछूँगी,
बस सजदे में सर झुका कर
तुम्हारे होने का शुक्र करूंगी,
क्यूंकि ज़रूरी सिर्फ इतना हे कि तुम हो।
हाँ ज़रूरी सिर्फ इतना हे कि तुम हो।