ज़िन्दगी नीरस शब्दों सी हे,
तुम अलंकार लेते आना।
ज़िन्दगी अचर एक शंख सी है,
तुम आके इसकी गूंज बन जाना।
ज़िन्दगी थकी पलकों सी लगती है,
तुम नींद साथ लाना।
ज़िन्दगी थमे वक़्त सी भी है,
तुम रफ़्तार लेते आना ।
ज़िन्दगी सरोद की बिखरी तारों सी हे,
तुम इसका सुर समेट देना।
ज़िन्दगी कोरे कागज़ सी लगती हे,
तुम एहसास साथ लाना।
ज़िन्दगी रात के अँधेरे सी हे,
तुम ख्वाब लेते आना।
ज़िन्दगी दर्द सी भी लगती हे,
तुम इसकी दवा ही बन जाना।
तुम आओगे ना?
पता नहीं तुम कैसे होगे?
सीधी भाषा में बात करने वाले,
या मेरी तरह अलंकार में बोलने वाले।
सरल शब्दों में कहूँ तो।
ज़िंदगी फीकी चाय सी है,
तुम इलायची लेते आना।
तुम आ ज़रूर जाना।
पर क्या पता तुम्हें चाय पसंद ही न हो,
इसे और सरल बना के कहुँ तो।
ज़िन्दगी कड़वी कॉफ़ी सी हे,
तुम चॉकलेट पाउडर लेते आना।
जो भी हो।
तुम आओगे ना?
तुम बस आ ज़रूर जाना।
तुम आ ज़रूर जाना।
Lovely composition!😊
Thank you for your time 🙂 🙂
Awesome heart touching
Thank you for visiting my blog
beautiful Swati..
Thank you for reading Saurabh 🙂